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Chandigarh News: सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन को बड़ा झटका, SCF के ऊपरी मंजिलों पर वाणिज्यिक गतिविधि नहीं मानी जाएगी दुरुपयोग

Chandigarh News: सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को एक बड़ा झटका देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को मंजूरी दे दी है। अब बिना एससीएफ (Shop-cum-flat) को एससीओ (Shop-cum-office) या एससीसी (Shop-cum-commercial) में परिवर्तित किए, अगर कोई व्यापारी ऊपरी मंजिल पर वाणिज्यिक व्यापार करता है, तो प्रशासन को उस पर दुरुपयोग का नोटिस भेजने से पहले दस बार सोचना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए प्रशासन की याचिका को खारिज कर दिया है।

किसी शो-रूम में ऊपरी मंजिल पर व्यापार करना दुरुपयोग नहीं माना जाएगा

यह मामला 2017 का है, जब सेक्टर-22 के किरन ब्लॉक में एक शो-रूम में ऊपरी मंजिल पर व्यापार करने को लेकर प्रशासन ने दुरुपयोग का नोटिस भेजा था। तब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि ऊपरी मंजिल पर व्यापार करना दुरुपयोग नहीं है। इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दे दी है, जिससे प्रशासन की नीति पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

Chandigarh News: सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन को बड़ा झटका, SCF के ऊपरी मंजिलों पर वाणिज्यिक गतिविधि नहीं मानी जाएगी दुरुपयोग

वर्तमान में प्रशासन की नीति और व्यापारी संगठनों का विरोध

इस समय प्रशासन एससीएफ और एससीओ के ऊपरी मंजिलों पर व्यापार करने के लिए बिना स्वीकृति के दुरुपयोग का नोटिस भेजता है। चंडीगढ़ में इस प्रकार के सैकड़ों भवनों को दुरुपयोग का नोटिस प्राप्त हो चुका है। प्रशासन ऐसे शो-रूम और कार्यालयों को एससीओ या एससीसी में बदलने के लिए भारी शुल्क वसूल करता है। इस मामले में व्यापारी संगठनों का कहना है कि जब हाईकोर्ट ने यह कहा है कि ऊपरी मंजिलों पर व्यापार करना दुरुपयोग नहीं है, तो प्रशासन की इस नीति का कोई औचित्य नहीं है और अब उन्हें यह शुल्क वसूल करने का अधिकार नहीं है।

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कन्वर्जन शुल्क की भारी मांग

प्रशासन ने जो कन्वर्जन शुल्क निर्धारित किया है, वह काफी भारी है। एससीएफ को एससीओ में बदलने के लिए प्रशासन 65 से 80 लाख रुपये तक का शुल्क लेता है। जबकि, एससीओ को एससीसी में बदलने के लिए चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में 1,000 रुपये प्रति वर्ग फुट और अन्य सेक्टरों में 800 रुपये प्रति वर्ग फुट का शुल्क लिया जाता है। इस भारी शुल्क को लेकर व्यापारी संगठन लंबे समय से विरोध कर रहे हैं और इसके घटाने की मांग कर रहे हैं।

व्यापारी संगठनों का यह कहना है कि जब संपत्ति पूरी तरह से वाणिज्यिक है, तो ऊपरी मंजिलों पर व्यापार करने के लिए शुल्क क्यों लिया जाए?

व्यापार मंडल के अध्यक्ष चरणजीव सिंह का कहना है कि जब सम्पत्ति पूरी तरह से वाणिज्यिक है, तो ऊपरी मंजिलों पर व्यापार करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि उन्होंने इस शुल्क को घटाने की मांग पहले भी की थी, और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

क्या है Shop-cum-flat?

चंडीगढ़ में पहले की ओर कई स्थानों पर प्रशासन ने Shop-cum-flat (SCF) आवंटित किए थे। इसमें व्यापारी को नीचे की मंजिल पर व्यापार करने की अनुमति थी, जबकि ऊपर की मंजिलों पर वे अपने परिवार के साथ रह सकते थे। लेकिन जैसे-जैसे व्यापार बढ़ा, व्यापारियों ने अपने परिवारों को आवासीय क्षेत्रों में भेज दिया और ऊपरी मंजिलों पर व्यापार शुरू कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने इसे पूरी तरह से वाणिज्यिक क्षेत्र में बदलने के लिए कन्वर्जन शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। प्रशासन का कहना था कि यदि कन्वर्जन शुल्क नहीं लिया गया, तो राजस्व की हानि हो सकती है। इसी कारण से प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी।

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यह था मामला

चंडीगढ़ प्रशासन ने सेक्टर-22 के एक शो-रूम को ऊपरी मंजिल पर व्यापार करने को दुरुपयोग मानते हुए नोटिस जारी किया था। जब इस मामले में कोई राहत नहीं मिली, तो यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने व्यापारियों को राहत देते हुए शो-रूम के दुरुपयोग नोटिस को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रशासन को शो-रूम की संपत्ति को फिर से कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। इसके बाद, यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की याचिका खारिज कर दी।

व्यापारी संगठनों का समर्थन

सेंटर-22 के व्यापारियों के संगठन (किरन ब्लॉक) ने इस मामले में पूरी तरह से व्यापारियों का समर्थन किया। संगठन के अध्यक्ष विश्व दुग्गल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की याचिका खारिज कर दी, और यह फैसला पूरी चंडीगढ़ व्यापार मंडल के लिए खुशी का विषय है। उनका कहना है कि इससे शहर भर में सभी व्यापारियों को राहत मिलेगी, और अब प्रशासन कन्वर्जन शुल्क नहीं वसूल सकता।

चंडीगढ़ प्रशासन के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक बड़ा झटका है। अब प्रशासन को यह निर्णय लेने में कठिनाई होगी कि वह व्यापारीयों से कन्वर्जन शुल्क वसूलने के लिए किस तरह की नीति अपनाए। इस फैसले के बाद, व्यापारी संगठन उम्मीद कर रहे हैं कि अब उन्हें दुरुपयोग के नोटिस से मुक्ति मिल जाएगी और वे अपने व्यापार को और बढ़ावा दे सकेंगे।

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